UTTAR PRADESH TRIBES (उत्तर प्रदेश जनजातियाँ )-
· भारत की कुल अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का 1.09
प्रतिशत भाग यू0पी0 में पाया जाता है ।
· उ0प्र0 की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत
2011 की जनगणना के अनुसार .06 प्रतिशत है ।
· उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख जनजातिया/जनजाति
समूह है. गोड समूह, खरवार
समूह, सहरया, बैगा, अगरिया, पन्खा पनिका, धेरो
मुझ्या मुहन्या, पटारी, परहिया आदि ।
· इनके अतिरिक्त भोटिया, बुक्सा/भोक्सा, जौनसारी, राजी,
थारू, माहीगीर आदि जनजातिया/समुदाय भी यहां
कतिपय स्थानों पर अत्यल्प संख्या में पाए जाते हैं।
· जनगणना 2011
के अनुसार गोड समूह उ.प्र. का सबसे बड़ा जनजाति समूह (5,69,035) है। इसके बाद खरवार समूह (1,60,676) तथा थारु समूह (105,291)
का स्थान आता है।
· उ.प्र. के जालौन एवं अयोध्या जिलों में एक मी जनजाति नहीं पाई
जाती है ।
· सबसे ज्यादा जनजाति सोनभद्र एवं सबसे कम जनजाति बागपत में है ।
थारू समूह
· उ.प्र. में थारू समूह की एकमात्र जनजाति थारू पाई जाती है।
· थारू जनजाति उ.प्र के गोरखपुर के तराई भाग एवं बलरामपुर मे
निवास करती है।
· थारू जनजाति के लोग किरात वंश से संबंधित है।
· थारू जनजाति के लोगों की शारीरिक संरचना की प्रमुख
विशेषताएं इस प्रकार है- कद में छोटे, चौड़ी मुखाकृति और चमड़ी का पीला रंगा
· थारू जनजाति के लोगों का मुख्य भोजन चावल है।
· दोपहर एवं शाम के भोजन के लिए थारू लोग मिझनी और बेरी
शब्दों का प्रयोग करते हैं।
· थारू जनजाति के लोग अपने घरों का निर्माण लकड़ी के लट्ठों
तथा नरकुलों से करते हैं।
· थारू जनजाति के लोगों की पारिवारिक व्यवस्था संयुक्त परिवार
प्रथा से संबंधित है।
· थारू जनजाति के लोग दीपावली को 'शोक पर्व' के रूप में
मनाते हैं।
· थारू जनजाति में 'बदला विवाह' प्रचलित है।
· थारू जनजाति के लोगों को शिक्षा प्रदान करने हेतु उ.प्र.
सरकार द्वारा लखीमपुर खीरी में एक महाविद्यालय की स्थापना की गई है।
· बजहर नामक पर्व थारू जनजाति द्वारा मनाया जाता है।
· उ.म. में थारू विकास परियोजना का प्रारंभ 2 अक्टूबर, 1980 को
किया गया।
जौनसारी
· जौनसारी जनजाति द्वारा विक्सू, पांचोई और दियाई उत्सव मनाए जाते हैं।
· रासो, घूमसू,
झेला, घोड़ों, धीई,
घूंडचा, जंगबाजी, सराई
तथा अंडे-कांडे नृत्य जौनसारी जनजाति से संबंधित है।
· जौनसारी जनजाति को खस जाति का वंशज माना गया है । इस जनजाति
कि स्त्रियाँ तुलानात्मक दृष्टि से लंबी, छरहरी कायावाली और आकर्षक होती है ।
· इस जनजाति में बहुपति प्रथा प्रचलित है ।
· यह जनजाति मुख्य रुप में उत्तरांखड में पायी जाती है लेकिन
उत्तर प्रदेश के पुरोला क्षेत्र में यह पाई जाती है ।
बुक्सा या भोक्सा
· बुक्सा या भोक्सा जनजाति उ.प्र. के मुख्यतः बिजनौर जिले में
पाई जाती है।
· बुक्सा जनजाति का संबंध पटवार राजपूत घराने से माना जाता
है।
· बुक्सा जनजाति में सामाजिक स्तरीकरण पाया जाता है।
· बुक्सा जनजाति द्वारा बोलचाल में हिंदी भाषा का प्रयोग किया
जाता है।
· बुक्सा जनजाति की पंचायत का सर्वोच्च व्यक्ति तखत कहलाता
है।
· बुक्सा जनजाति के लोग चामुंडा देवी की पूजा करते हैं।
· बुक्सा जनजाति के लोगों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि
है।
· उ.म. में बुक्सा जनजाति विकास परियोजना 1983-84 में प्रारंभकी गई थी।
अनुसूचित जनजातियां |
|
1. गोंड समूह( गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पथारी, राज गोड) |
महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, मऊ,
आजमगढ़, जौनपुर, बलिया,
गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर,
सोनभद्र, संत कबीर नगर, कुशीनगर, चंदौली एवं भदोही |
2. खरवार समूह( (खरवार, खैरवार ) |
देवरिया, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, सोनभद्र |
3. सहरया |
ललितपुर |
4.परहिया |
सोनभद्र |
5.बैगा |
सोनभद्र |
6.पन्खा, पनिका |
सोनभद्र एवं मिर्जापुर |
7.अगरिया |
सोनभद्र |
8.पटारी |
सोनभद्र |
9. चेरो |
सोनभद्र एवं वाराणसी |
10.भुइया, भुइन्या |
सोनभद्र |
· नोटः 24
दिसंबर, 2022 को अधिसूचित संशोधन आदेश के द्वारा गोंड समूह
के जनपदों में संत कबीर नगर, कुशीनगर, चंदौली
एवं भदोही शामिल किए गए हैं।
माहीगीर
· माहीगीर जनजातीय समुदाय (प्रदेश में OBC सूची में शामिल) के लोग उ.प्र. के बिजनौर
जिले में पाए जाते हैं।
· माहीगीर समुदाय के लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी हैं। माहीगीर
समुदाय की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार मछली पकड़ना है।
· ज्ञातव्य है कि स्वतंत्रता-पूर्व के अभिलेखों में इन्हें
मुस्लिम जनजाति के रूप में अभिहित किया गया है, तथापि वर्तमान में ये भारत के किसी भी राज्य में जनजाति के रूप में
अनुसूचित नहीं हैं।
खरवार
· खरवार जनजाति के लोग उ.प्र. के सोनभद्र, देवरिया, बलिया,
गाजीपुर एवं वाराणसी जिलों में रहते हैं।
· खरवार जनजाति की प्रमुख उप-जातियां सूरजवंशी, पतबंदी, दौलतबंदी,
खेरी, राऊत, मौगती,
मोझायाली, गोजूं और आर्मिया है।
· खरवार जनजाति का मूल निवास क्षेत्र पलामू (झारखंड) है।
· खरवार जनजाति के प्रमुख देवता बधउस, वनसंती, दूल्हादेव,
घमसान, गोरइया हैं।
· करमा खरवार जनजाति का नृत्य है।
➡ सेनेट्री मार्ट योजना उ.प्र. राज्य के अनुसूचित जाति विकास
निगम द्वारा 2001-02 में लागू की
गई थी। इसका उद्देश्य सिर पर मैला ढोने पर रोक के बाद बेरोजगार हुए लोगो को रोजगार
प्रदान करना था ।